डॉ0 हरि नाथ मिश्र

*योग-दिवस*
दिवस साधना का यही,योग-दिवस सुन भ्रात।
प्रथम कार्य बस योग ही,करना नित्य प्रभात।।

स्वस्थ रखे तन को यही,दे मन-शुद्ध विचार।
धन्य पतंजलि ऋषि रहे,किए जो आविष्कार।।

प्राणायाम व भष्तिका,सँग अनुलोम-विलोम।
भ्रमर-भ्रामरी साथ में,अतुल शक्ति रवि-सोम।।

सफल योग उद्गीत है,रखे कुशल मन-गात।
इसको करने से मिले,तत्क्षण रोग-निजात।।

ऋषि-मुनि-ज्ञानी-देव सब,सदा किए हैं योग।
कलि-युग औषधि बस यही,समझें इसे सुभोग।।

मूल-मंत्र बस योग है,यही है कष्ट-निदान।
करे योग को रोज जो,उसका हो कल्याण।।

आओ मिलकर सब करें,नित्य योग-अभ्यास।
भर देगा यह योग ही,जीवन में उल्लास।।
             ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                 9919446372

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