डॉ0 हरि नाथ मिश्र

गीत(16/14)
जीवन के अनमोल पलों में,
आओ प्रेम सजाएँ हम।
सबको गले लगाकर हर पल-
मधुर गीत  नित गाएँ हम।।

जीवन तो क्षणभंगुर प्यारे,
आज रहे कल ज्ञात नहीं।
पल में तोला,पल में माशा,
जान सके औक़ात नहीं।
सुख-दुख दोनों एक मानकर-
खुशियाँ रोज मनाएँ हम।।
       मधुर गीत नित गाएँ हम।।

जब तक जीना रहे झमेला,
इच्छाएँ तो मरें नहीं।
कभी नहीं ये पूरी होतीं,
उदर अन्न से भरें नहीं।
बैठ-बैठ कर आपस में नित-
निज की व्यथा सुनाएँ हम।।
  मधुर गीत नित गाएँ हम।।

प्रेम-भाव की भाषा बोलें,
प्रेम मधुर रस-पान करें।
प्रेम-भाव को समझें सब जन,
प्रेम-तत्त्व-सम्मान करें।
बड़े भाग्य से जन्म मिला है-
इसमें खुशियाँ पाएँ हम।।
      मधुर गीत नित गाएँ हम।।

रंग-विरंगे सपने बुनते,
पर न लालसा पूरी हो।
उलट-फेर हम करते रहते,
इच्छा नहीं अधूरी हो।
नहीं अंत कुछ रह जाता है-
खुले हाथ ही जाएँ हम।।
     मधुर गीत नित गाएँ हम।।
                ©डॉ0 हरि नाथ मिश्र
                    9919446372

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...