*हर शख्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता*
मुझको है लगन आसमां में छेद करने की
हर शख्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता
राज ए दिल किसी को बता भी नहीं सकता
ज़ख्म कितना है गहरा दिखा भी नहीं सकता
रात भर चॉंद सफर कहॉं-कहॉं करता रहा
क्यों रही मावस रात भर बता भी नहीं सकता
कहता रहा वो दास्तां जख्में जिगर की अपनी
ऑंसूं क्यों ऑंख से उसके न गिरा बता भी नहीं सकता
गली-गली बन रांझा फटेहाल वो घूमता रहा
सदा लैला को क्यों न दे सका
बता भी नहीं सकता
महफ़िल में वो सबके दिलों की धड़कन रहा
मगर उसकी धड़कन पे नाम किसका है बता भी नहीं सकता।
*हर शख्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता*
मुझको है लगन आसमां में छेद करने की
हर शख्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता
राज ए दिल किसी को बता भी नहीं सकता
ज़ख्म कितना है गहरा दिखा भी नहीं सकता
रात भर चॉंद सफर कहॉं-कहॉं करता रहा
क्यों रही मावस रात भर बता भी नहीं सकता
कहता रहा वो दास्तां जख्में जिगर की अपनी
ऑंसूं क्यों ऑंख से उसके न गिरा बता भी नहीं सकता
गली-गली बन रांझा फटेहाल वो घूमता रहा
सदा लैला को क्यों न दे सका
बता भी नहीं सकता
महफ़िल में वो सबके दिलों की धड़कन रहा
मगर उसकी धड़कन पे नाम किसका है बता भी नहीं सकता।
डा. नीलम
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