शीर्षक- बादल
देखो- देखो बारिश है आई,
रंग बिरंगी तितिलियाँ,
अपने पंखों को है फैलाए।
आसमान में इंद्रधनुष सतरंगी,
प्रकृति के रंग में रंग जाए
ठंडी ठंडी हवा फुआरो के संग ,
मचल- मचल के अपनी शीतलता
मन को है खूब लुभाए
जैसे तपती धूप में ,
मिली हो पेड़ों को बादल के साये।
बैरन पिया की याद सताए,
पी से मिलन को पिया है आए।
कोयल की मीठी कूक दिल को है भाए
सूरज की किरने छुप-छुपकर ,
बादल से हैं मिलने आये।
डाली डाली लिपट रही है ,
पंखुड़ियां है मुस्कराई,
कलियों ने चारों तरफ ,
मंद-मंद खुशबू बिखराए ।
बाघ बगीचों फूलों से
है महकाते
भौरें मदमस्त होकर हर तरफ गीत
गुनगुनाए।
देखो देखो बारिश है आई।
कुमकुम सिंह
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