शीर्षक ----पिता हमारे
रचना--
जीवन की पल प्रहार हमारे
पिता एक उम्मीद सवांरे।।
जीवन की राहों में होता कभी
निराश पिता एक उम्मीद नई राह
दिखाते।।
बचपन से सपनों का संसार
प्यार दिया पहचान दिया जीवन
अरमान दिखाते।।
उम्मीदों का आसमान में उम्मीद
पिता की जीवन के हर मोड़ पर
राह बताते।।
कंधों के झूले पर उनके बैठा
मुझे जन जन को बतलाते
इतराते कुल का गौरव मान बताते।।
बचपन मे हाथ पकड़ कर चलना
सिखलाया जीवन के आंधेरों में पिता
एक उम्मीद के दीपक जैसे।।
कोई मुश्किल आ जाये जैसे
प्रत्यक्ष आ जाते जीवन की दुविधा
मुश्किल कस्ती को हस्ती हद ले जाते।।
सपनोँ क़ि चाहत अरमानो कि मैं दुनियां मेरे भाग्य भगवान् पिता भगवान हमारे मैं उनकी संतान।।
रखा पहला कदम जब धरती पर बजे ढोल मृदंग थाल उनके जीवन की खुशियो क़ी मैं मूल्यवान् सौगात।।
बड़े शान से दुनियां को बतलाया मेरे कुल का दीपक चिराग कुल मर्यादा महिमा का भविष्य वर्तमान।।
मेरे सद कर्मो का परिणाम लाडला मेरी संतान मेरी उम्मीदों की दुनियां का प्रज्वालित मशाल मेरी संतान ।।
शक्ति क्षमता प्यार परिवारिस शिक्षा संस्कृत सांस्कार लाल पालन का शाश्वत संसार।।
संकल्पों का यज्ञ हमारा अपने खून पसीने की दूंगा आहुति मेरे मकसद मंज़िल का अभिमान मेरी संतान मैं पिता बगवान ।।
जीवन मे पिता एक उम्मीद अभिमान
जीवन यथार्थ उड़ान आसमान।।
परमेश्वर सा परम् प्रताप पिता हमारे
मैं उनकी संतान।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश
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