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*जल अमृत*
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मात पिता,
भारत मां..
धरा नमन।
हितकारी,
जन-जन का..
करें वंदन।।
🙏🙏🙏
जल अमृत,
जानत सब..
पहल करें ।
दुरुपयोग,
करने से..
संकट बढ़े।।
💦💦💦
जल महिमा,
चरणामृत.
समझाकर।
सब समझें,
ऐसा जतन..
अपनाकर।।
💧💧💧
बारिश जल,
जाये अब..
ना बहकर।
घर-घर में,
पुनर्भरण..
बनाकर।।
🌧️🌧️🌧️
रामबाबू शर्मा, राजस्थानी,दौसा(राज.)
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