रामकेश एम यादव

हे! ईश्वर

प्यार की बारिश करके प्रभु तू,
जग का मन निर्मल कर दो।
घूम रहा है वायरस जग में,
जल्दी उसे दफ़न कर दो।

सांसों की सरगम न टूटे किसी की,
होंठों पे खिलती बहार रहे।
उड़ने वाले वो उड़ें गगन में,
हमसे गगन क्यों दूर रहे।
खाली झोली में हे! ईश्वर,
अब तू चैनो-अमन भर दो।
घूम रहा है वायरस जग में,
जल्दी उसे दफ़न कर दो।
प्यार की बारिश करके प्रभु तू,
जग का मन निर्मल कर दो।

वक़्त के हाथों कैसा ये खंजर,
दिल में रोज उतरता है।
जल रही लाशों के संग में,
कितना सिंदूर उजड़ता है।
बरस रही इस मौत को मालिक,
इसका अब तू हवन कर दो।
घूम रहा है वायरस जग में,
जल्दी उसे दफ़न कर दो।
प्यार की बारिश करके प्रभु तू,
जग का मन निर्मल कर दो।

जुल्फों के साये में धड़के धड़कन,
लहरों पे सबकी शाम ढले।
घुट-घुट कर क्यों घर में रहे हम,
अब तो पुराने दोस्त मिलें।
दूर करो जहरीली हवा ये,
हर घर को रोशन कर दो।
घूम रहा है वायरस जग में,
जल्दी उसे दफ़न कर दो।
प्यार की बारिश करके प्रभु तू,
जग का मन निर्मल कर दो।

रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई

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