बाल मनुहार
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आसमान में,
पंछी चहके..
मन हर्षाया।
आँगन महका,
फूल खिले..
देखो भाया।।
दादा बोला,
उठ जाओ..
खुशी मनाओ।
समय सुबह का,
सब मिल कर..
मंगल गाओ।।
माँ से बढ़़कर,
है भारत माता..
इस पर जन्म लिया।
शीश झुकाकर,
सब करो वंदना..
हमकों अन्न खिलाया।
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©®
रामबाबू शर्मा, राजस्थानी,दौसा(राज.)
कविता
*जीवनसाथी*
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जीवन साथी साथ निभाता,
नैतिकता की भी जिम्मेदारी।
सफलता की राह दिखाता,
सामाजिकता की पहरेदारी।।
अनजान मुसाफ़िर मिलकर,
अरमानों का महल सजाते हैं।
जीवन की बगिया में सजकर,
खुशियों के फूल खिलाते हैं।।
परम्पराओं का यह मेल-जोल,
सतकर्मो से ही जुड़ पाया है।
इस धरती पर स्वंय परमेश्वर,
जीवन साथी रूप में आया है।।
सुख-दु:ख का भी आना-जाना,
प्रीत लग्न की ये रीत निभाता।
छोटी-छोटी बातों का टकराना,
फिर मिल प्यार से बातें करता।।
कितना सुखद नजारा है यहाँ
देखो ये रंग-रंग के फूल खिले।
सभी कामना करते हमें वापस,
ऐसा ही जीवन आधार मिले।।
©®
रामबाबू शर्मा, राजस्थानी,दौसा(राज.)
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