देवानंद साहा आनंद अमरपुरी

शीर्षक................मैं बीमार हूँ...................

हाय रे मेरी किस्मत , जीवन मेरा जकड़ गया ।
मैं बीमार हूँ,इससे पूरा बदन मेरा अकड़ गया।।

ज़ंजीरें ही  बन गए हैं , मेरी जिंदगी का गहना ;
शरीर का अंग-अंग , ज़ंजीरों  में जकड़  गया।।

गुनाह मेरा क्या है,सज़ा देनेवाले इतना बता दे;
नही बता पाते तो  बता,मुझे क्यों पकड़ गया।।

जिंदगी के सफ़र में चला, खैरमकदम के लिए;
सब मिलकर ऐसे हालात,पैदा क्यों कर गया।।

मेरी हसरतों का ज़नाज़ा तो इस कदर निकला;
दोस्तों , दुश्मनों की आँखों  में आँसू भर गया।।

अब नही होता है , किसी बीमारी का एहसास;
बीमारी केभरमार से ,पूरी जिंदगी पसर गया।।

"आनंद"के उम्मीद की किरण,नज़र नहीआती;
दुश्वारियों से  ही पूरा जीवन  मेरा  सँवर गया।।

-----------------देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"

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