मधु शंखधर स्वतंत्र

*मधु के मधुमय मुक्तक*

*झंझावात*
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जीवन झंझावात से , छुटकारा है एक।
दृढ़ हो ईच्छाशक्ति अरु, साया बने विवेक।
सद्कर्मों की राह पर , मानव का सम्मान।
कंटक बाधा कब बने , साथी हो गर नेक।।

तूफानों का वेग ही, होता झंझावात।
उलझे जीवन डोर भी , ऐसे हो हालात।
सभी समर्थित बन करो, इसका सहज उपाय,
तैयारी सार्थक करो, बन जाए शुभ बात।।

कैसा झंझावात है, मानव जीवन तंत्र।
मूल यहाँ निर्मूल हो, बिगड़े सारे यंत्र।
सजग व्यक्ति की चाह से, होती सुखमय भोर,
अन्तर्मन को शक्ति दे, शिवा शक्ति शुभ मंत्र।।

फँसते झंझावात में  ,  व्यर्थ बनाए चित्र।
प्राप्त लक्ष्य होता तभी , साथ रहे जब मित्र।
सत्य कल्पना साथ हो, अडिग रहे विश्वास
सुरभित जीवन पुष्प से, महके मधुमय इत्र।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*✒️
*09.06.2021*

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