नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

जिंदगी और हवाई जहाज़---

जिंदगी हवाई जहाज
ख्वाबों खयालो कल्पना
उड़ानों में उड़ती ।।
खूबसूरत कल्पना लोक
विचरती कभी कल्पना
ख़्वाब खयाल वास्तविकता
वास्तव के रनवे पर चक्कर
काटती एरोड्रम पर रुकती।।
करती कुछ विश्राम ।।
नई सोच नई कल्पना की 
उड़ान उड़ती नए अम्बर की
ऊंचाई का पंख परवाज़।।
उड़ते आकाश में कभी
आशाओ के बादल साफ
निराशाओं का अंधकार।।
डगमगाता खतरे के देता
संकेत कभी सभल जाता
कभी अविनि पर चकनाचूर।।
अविनि से जीवन शुरू
अविनि ही शमशान कब्रिस्तान
कल्पनाओं ख्वाब की उड़ान
विखर जाती टुकड़े हज़ार।।
हवाओं में उड़ना इंसानी
जिंदगी फितरत अंदाज़
जिंदगी का जांबाज 
पंख परवाज हवाई जहाज।।
कल्पना लोक में उड़ते 
समय मौसम खराब
तमाम खतरे तमाम 
फिर भी बेफिक्र लड़ता
जीवन की कल्पनो की
उड़ान भरता जिंदगी में
इंसान।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
गोरखपुर उत्तर प्रदेश

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...