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आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
पावनमंच को सादर प्रणाम, आज की रचना का विषय।। समय व लक्ष्य।। है, अवलोकन करें...... महत्तव समय का अजीब बडो़ इहय हौं तुहँय समुझाई रहा।। बिनु काज किये ना महान भवा केऊ बाति इहय बतियाई रहा।। खाया औ सोया लडा़या तू गप्प इहय कैइके गडबड़ाई रहा।। भाखत चंचल बाति कही निरा पशु जीवन जाई रहा।।1।। अहार औ नींदु समान कहँयप्रजननु क्षमता समधारी कही।। बुद्धि विवेकु बड़ो तुम्हरा यहिका सबु जीव जुझारी मही।। लक्ष्य मना ना धर्या कबहूँ मनुआ ई तना तौ अकारथु ही।। भाखत चंचल या तनुधारी जाने ना गाँव गिराँव सही।।2।। निरधारण लक्ष्य करा मनमा औ ध्यानु लगाय के काजु करा।। आलसि दम्भु ना आवै मना बतिया तनिका इ ख्यालु करा।। अहंकार विनाशक मानो सदा सब मानव नाहि समानु धरा।। भाखत चंचल याहि कहौं नहि नीचु केऊ नहि ऊँच धरा।।3।। नेटवर्क बिसात बिछी जग मा जेहिपै महिला बहु ध्यानु धरैं।। सीखैं जौउनु गुनवन्त धरा वहि आँचरू माहि समेटि धरैं ।। तर्क वितर्क सुझाय नहीं वहू अमल मँहँय तनधारि धरैं।। भाखत चंचल काव कही पुरूषाननु श्रेष्ठ समाजु वरैं ।।4।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल। ओमनगर, सुलतानपुर, उलरा,चन्दौकी, अमेठी,उ.प्र.।। मोबाइल नंबर.. 8853521398,9125519009।।
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