निशा अतुल्य

मेरी बिटिया
दोहा विधि

मुखड़ा रंगों सा खिला,मीठी है मुस्कान
तू तो मेरी लाडली,है पापा की जान ।

रंगोली सुन्दर बना,लिख दे अपना नाम
पंख लिए नभ में उड़े,अद्भुत तेरे काम।

नन्हे नन्हे हाथ है,करे बड़े तू काम
भोली सी मुस्कान है,जग में तेरा नाम।

छोटे छोटे नैन है,सपने बड़े विशाल
पूरे करने है सभी,सोचे करे कमाल।

लगे नजर न कभी तुझे ,तू सबकी है जान
काम सदा ऐसे करो ,बनो देश की शान।

स्वरचित
निशा"अतुल्य"

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...