शीर्षक-ज़िन्दगी एक फ़न है
विधा-कविता
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ज़िन्दगी एक फ़न है,
फ़नकार बनकर जीया करो।
किसी और की न सोचना,
सिर्फ अपने दिल की सुना करो।
बीते लम्हे गर अच्छे न हों,
तो बुरा सपना समझ भूल जाया करो।
ज़िन्दगी एक ख़ूबसूरत नायाब तोहफ़ा है,
इसे बेहतरी से जीकर और बेहतर बनाने की कोशिश किया करो।
आज को अभी को पल-पल को ख़ुशनुमा बनाया करो,
होंठों पे अपने हँसी मुस्कुराहट लाया करो।
खुलकर जीने का नाम ही ज़िन्दगी है,
बिंदास और बेबाक़ होकर ख़ुशी के गीत गाया करो।
रचनाकार-अतुल पाठक धैर्य
पता-हाथरस(उत्तर प्रदेश)
मौलिक/स्वरचित रचना
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