योग और योग दिवस
योग- हमारी ऋषि परंपरा,
जीवन में जिससे आनंद भरा ।
सहस्राब्दियों से विकसित ज्ञान,
स्वीकारा जग ने वैज्ञानिक मान ।
ऋषि पतंजलि ने लिपिबद्ध किया,
आज दुनिया ने है अपना लिया ।
योग तो है अष्टांग योग,
मिटाये तन मन के सब रोग।
रोगों के मिटाता यह कारण,
नियंत्रण साथ ही करे निवारण ।
यम-नियम-आसन-प्राणायाम,
इनके साथ ही सूक्ष्म व्यायाम ।
प्रत्याहार-धारणा-समाधि-ध्यान,
होते तन मन दोनों बलवान ।
क्या नहीं करें बतलाते यम,
करना क्या सिखाते नियम ।
लचीला करते तन को आसन,
मन लचीला भर अनुशासन ।
साँसों की गति का करें नियंत्रण,
प्राणायाम से सहज आचरण ।
अंतर से जोड़ता प्रत्याहार,
स्वस्थ हो फिर विचार-व्यवहार ।
धारणा-समाधि और ध्यान,
एकाग्रता-शान्ति ये करें प्रदान ।
सब करें और करवायें योग,
पास न फटकेंगे कभी रोग ।
जयप्रकाश अग्रवाल काठमांडू नेपाल
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