ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

विधा-कविता
*विषय-बिखरता परिवार, सिमटता प्यार*

बिखरता परिवार सिमटता प्यार
इस पर चिंतन होना चाहिए।
खो रहे संस्कार क्यों आधुनिकता में,
इस पर भी मनन होना चाहिए।

आज शिक्षा केवल जीविका हेतु हो गयी,
समग्र विकास की धारा कहीं खो गयी।
शिक्षा में खो रही समग्रता लानी ही चाहिए।
बिखरता परिवार सिमटता प्यार
इस पर चिंतन होना चाहिए।

आज हम तकनीकी के कितने अधीन इतने हो गए,
माँ बाप बच्चे सामने बैठे हम एक डिबिया में खो गए,
तकनीकी के इस माया जाल से बाहर आना चाहिए,
बिखरता परिवार सिमटता प्यार
इस पर चिंतन होना चाहिए।

आज परिवार का मतलब माता पिता और संतान हो गए,
बाबा दादी चाचा चाची आधुनिकता जैसे रिश्ते खो गए,
हरपल घरघर इन मिटते रिश्तों का सबको ध्यान होना चाहिए,
बिखरता परिवार सिमटता प्यार
इस पर चिंतन होना चाहिए।
अभी भी समय है नवपीढ़ी को संस्कार दिखाओ,
केवल कहो नहीं खुद भी बड़ो का सम्मान कर के दिखाओ,
नवपीढ़ी को परिवार और रिश्तों का ज्ञान देना चाहिए।
बिखरता परिवार सिमटता प्यार
इस पर चिंतन होना चाहिए।
खो रहे संस्कार क्यों आधुनिकता में,
इस पर भी मनन होना चाहिए।

ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
तिलसहरी, कानपुर नगर
9935117487

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