योग
हमारे देश का प्रजातंत्र
वह तंत्र है
जिसमे हर बीमारी स्वतंत्र है
पर जो नियमित करता है योग
वह योगी स्वस्थ है
अस्पतालों की भरमार है
और डाक्टर चाहता है कि
दवा चलती रहे, लोग बीमार पड़ते रहे
आमदनी होती रहें
हम ऊपर से दिखने में तो चिकना है
भगवान जाने रस कितना है
यह ऋषि मुनियों और संतो का देश है
पेट को तो, कुरते के लायक बनाइये
यही तो हरि इच्छा है,जनाब
हमारे देश का प्रजातंत्र
वह तंत्र है
जिसमे हर बीमारी स्वतंत्र है
पर जो नियमित करता है योग
वह योगी स्वस्थ है
अनजान सफ़र है ये
भ्टका हुआ रहबर है
चलना भी जरूरी है
खो जाने का डर भी है
पर योग के लिए करता है,लाखो बहाने
दुनिया को तो फतह कर लिया है
पर खुद से ही हारा है
इंसान के पास स्वास्थ्य के लिए
समय ही नही है
इतिहास साक्षी है
भगवान कृष्ण स्वयं योगी है
करो योग,रहो निरोग
हमारे देश का प्रजातंत्र
वह तंत्र है
जिसमे हर बीमारी स्वतंत्र है
पर जो नियमित करता है योग
वह योगी स्वस्थ है
नूतन लाल साहू
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