कुमकुम सिंह

माटी के देहिया माटी मिल जाएगी,

मिट्टी है मिट्टी में मिल जाना है
 चाहत है लाखों करोड़ों की।
लेकिन यही सब रह जाना है 
खाली हाथ आए थे खाली हाथ ही जाना है।

क्या अपना क्या पढ़ाया 
सब है मोह माया।
बस दस्तूर को निभाना है
कुछ नहीं बचा जो कि लेकर जाना है।

क्या रंक क्या हे राजा
सबको पंछी बन उड़ जाना है।
जीवन कुछ दिन के खेल है प्यारे
अंत में सांसे भी साथ छोड़ जाना है।

ले ले हरी का नाम
चाहे ना जाओ चारों धाम।
दिल में हो सांवरिया की सूरत
आंखें बंद कर दर्शन पाना है।

हरि का नाम जपते जपते
आंखें बंद कर जाना है।
क्यों करता है हाय हाय रे बंदे
खाली हाथ ही तो जाना है।
दिल की तमन्ना कसक मेरे मन की

  तेरे जाने की कसक ,
दिल में अभी बाकी है।
उसी मोड़ पे खड़ी हूं मैं, 
जहां से वापस आना मेरा अभी बाकी है।

********************

तेरा आना दिल में ,
यू जगह बनाना। 
जैसे बादल में था ,
सूरज का छुप जाना।

वही आग, वही तपन ,
दिल में आज भी लगी है। 
जैसे पहली बार, मिले थे हम।
राज अभी बताना बाकी है


कॉलेज में कक्षा के आखिरी सीट में बैठना, 
बार-बार झांकना और नजरें को फिर झुकाना।
नजर मिलते ही अपनी नजरों को इधर-उधर घुमाना। और वह तेरा धीरे से मुस्कुराना ।

वो प्यार कितना सच्चा था,
उसमें तनिक भी कच्चापन्न था।
एक दूसरे को दिल से चाहते थे,
ना कोई हवस ना कोई बालापन था।

अपने दिल से उस ख्याल को ,
निकालना अभी बाकी है।

तेरा मुझ पर वो हक जताना ,
किसी और को देखने पे वो नजरें टिकाना।
जैसे कि अंदर से आत्मा को चीर कर रख देना,
वो पीर अभी दिल से निकालना बाकी है।

और मुझे इशारों से बताना। यह ठीक नहीं है, 
उससे बचा कर रखना।
तेरा वह नजराना ,
दिल में मेरे अभी बाकी है।

वह पहले मिलन की आह,
ढूंढती है फिर से वही निगाह।
दिल का कत्लेआम करना,
 अभी बाकी है।

🙏🏻कुमकुम सिंह🙏🏻

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