विषय-- मित्र
मित्र वर्षा ऋतु हम मिले
हम बगीया में झुला डालें।
पेंग बढ़ाकरआसमान छुलें।
कजरी मल्हार प्रेम रस गालें।
अपनी मन की तुम से कहलें।
आओ हम तुम गले मिल झुम ले।
भुली बिसरी बाते अब कर ले।
वर्षा जल से तन मन भीगोले।
कागज की एक नाव बनाले।
नाव देखकर बचपन याद कर लें।
आओ मित्र हम झुला मन झीलें
डॉक्टर रश्मि शुक्ला
प्रयागराज
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