डा. नीलम

आरज़ू अब तलक कॅंवारी है

इश्क का बाजार नरम गरम है
दिलों की जहॉं चोरबाजारी है

पॉंव में छाले और पेट खाली है
गुरबत सेजंगअभी भी जारी है

कुंद ज़हन पर अंधविश्वास हावी है
टीका लगाना मौत की तैयारी है

दिशाएं गुमसुम हवाएं भारी हैं
लगे मौसम का मिजाज़ भारी है

चीख ओ'पुकार सड़कों पे जारी है
मौत का ताण्डव हवा में तारी है।

       डा. नीलम

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