*दिलको कहना है*
विधा : कविता
मोहब्बत भी क्या बला होती है।
जब किसी से होती है तो
दिल का चैंन छीन लेती है।
और आँखों ओठो से पिलाती है।।
दिलमें एक कंपन होती है
जो सारी रात जगाती है।
न खुद सोती है और न सोने देती।
और अपनी सांसो को
मेरे दिलसे मिलती है।
और लेकर अपनी बाहो में
जन्नत की सेर कराती हो।।
गुलाब के फूल की तरह हो तुम।
कमल की तरह खिलती हो तुम।
पास रहते हो तो महकते हो।
हंसती हो तो कयामत लाती हो।
मोहब्बत की ज्योत जलाती हो।।
अब आँखों की जगह
कुछ जुवा से बोलो
हाल ए दिल का राज
अब तो खोलो तुम।।
दिल ही तो लिखवा रहा है।
हाल ए दिलका बता रहा है।
अब तो तुमको ही कहना है।
और बात दिलसे कहना है।।
दिलकी बातो पर कुछ तो
तुम अपना इजहार करो।
अंदर यदि तुम्हारे प्यार है तो
कहने का साहस करो।।
कितना प्यार किया मैंने तुमसे
तब से लेकर आज तक।
पर क्या ये इतिहास के
पन्नो में ही जीवित रहेंगी..।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन "बीना" मुंबई
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