नमन सम्मानित मंच,माता शारदे,
24।06।2021
विषय-गीत,शीर्षक"सुहाना पल"
सुहाना पल था बाल्यावस्था,
न था आपाधापी की व्यथा,
माता,पिता,भाई,बहन संग,
सुहाना ,यादगारी वो लम्हा।।
कितना रोचक,खुशहाल था दिन,
ईष्ट,मित्र मंड़ल में गुजरता फूरसत
का समय,कोई चर्चा लिए,मोहन,
जैसे की मामाजी के घर की याद।।
आमोद,मनोरंजन का था जलवा,
न जरा,व्याधि का रोना,समस्या,
प्यार,हर्ष,उल्लास से तन-मन,
दामोरदम,गीत-सावन का सरगम।।
वो बीता पल,समय याद आता,
काश की फिर से लौटकर आता,
माता का हाँथ का पकवान,रसाल
वो सुहाना बचपन का पल दिल को भाता।
अरुणा अग्रवाल।
लोरमी,छःगः,
🙏🌹🙏
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें