सुधीर श्रीवास्तव

हाइकु 35
*****
शिक्षा
●●●●
आज की शिक्षा
औपचारिक बनी
संस्कार नहीं।
*****
आधुनिकता
हावी होती जा रही 
ये कैसी शिक्षा।
*****
संस्कार बिन
व्यर्थ हो रही शिक्षा
खतरनाक।
*****
शिक्षा समृद्धि
 तभी बात बनेगी
जरूरत है।
*****
रोजगार भी
जब दे सके शिक्षा
तभी औचित्य।
*****
शिक्षा संयम
संस्कार, रोजगार
तब सफल।
*****
नैतिक शिक्षा
आज की जरूरत
सबको मिले।
*****
ये कैसी शिक्षा
कभी काम न आये
बेमतलब ।
◆ सुधीर श्रीवास्तव
      गोण्डा, उ.प्र.
      8115285921
©मौलिक, स्वरचित

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...