एस के कपूर श्री हंस

इस खुशनुमा   सुबह में 
आपको याद    करते हैं।
सबेरे आपकी खुशी की
फरियाद    करते       हैं।।
आपकी स्म्रति   दिल में
बनी रहे हमेशा यूँ     ही।
*सुप्रभात के   साथ बस*
*यही इक़ बात  करते हैं।।*
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*।।कॅरोना,अभी जरा ठहर*
*जायो ,कि फिर सब गुलज़ार होगा।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
हिम्मत रखना दिन  वैसे ही
फिर गुलज़ार    होंगें।
बीमारी से दूर    फिर   शुभ
समाचार        होंगें।।
दौर पतझड़  का    आता है
बहार आने से पहले।
पुराने दिन फिर      वैसे  ही
बरकरार         होंगें।।
2
लौटकरआ जाएंगी खुशियाँ
अभी कठिन वक़्त है।
यह कॅरोना    ले    रहा   था
परीक्षा    सख्त     है।।
समय से लें दवाईऔर ऊर्जा
बढ़ायें         अपनी।
इस कॅरोना के    खूनी  पंजों
में लगा गया रक्त्त  है।।
3
जान   बाजी लगा  निकलने
की जरूरत नहीं है।
यूँ ही   चितायों    में   जलने
की जरूरत नहीं है।।
भयानक मंजर खूनी  खंजर
देखा है कॅरोना का।
लापरवाही से  काम लेने की
जरूरत     नहीं  है।।
4
जरा सा ठहर जायो  कि सब
सही  गुज़र    जाये।
इस दूसरी लहर  का ये   नया
उफ़ान  गुज़र  जाये।।
यूँ आँधी में बेवजह निकलना
अभी ठीक नहीं  है।
हम सब निखर कर    आयेंगें
ये मुकाम गुज़र जाये।।
______________________

*।।पत्थर के होते जा रहे संवेदना शून्य बड़े शहर।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
बड़ी अजीब सी     बड़े शहरों 
की रोशनी  होती है।
दिन खूब   हँसता  पर      रात
बहुत  रोती         है।।
उजालों में भी     चेहरे     यहाँ
पहचाने   नहीं  जाते।
सच सिसकता और   झुठलाई
नींद चैन की सोती है।।
2
आदमी भटकता रहता है यहाँ
कंक्रीट के जंगलों में।
संवेदना सुप्त  रहती  है   यहाँ
सबकी धड़कनों  में।।
फायदे नुकसान के  गणित में
गुम रहते हैं लोग यहाँ।
हर बात  उलझती  रहती यहाँ
राजनीतिक दंगलों में।।
3
संबंध निभाने का समय लोगों
के पास होता नहीं है।
पाने को  रहता  आतुर  हमेशा
कुछ   खोता नहीं   है।।
एकल परिवार का चलन   बढ़
रहा   बड़े   शहरों   में।
दूर ही   रहते  बेटा,  बहु,  पास
होते ,पोती,पोता नहीं हैं।।
4
अजब गजब सा सन्नाटा पसरा
रहता है यहाँ  घरों में।
भगदड़ मची रहती  यहाँ  बाहर
हर आदमी के परों में।।
खामोशी में    छिपा रहता कुछ
अज्ञात कोलाहल सा।
मीलों की     दूरी रहती हर पास 
की ही दीवार  दरों  में।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।         9897071046
                     8218685464

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