निशा अतुल्य

हाइकु
प्रकृति
10.6.2021

प्रकृति देख
बारिश की बूंदों से
भरे आँचल ।

तपती धरा
अब सूखे विटप 
भूले खिलना ।

चाँद चमका
आसमान से देखो
रात है रोई ।

पपीहा बोला
है चातक अधीर 
रात रोहिणी ।

बीते जो पल
जीवन का अतीत
वास्तविकता ।

स्वरचित
निशा"अतुल्य"

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