अमरनाथ सोनी अमर

बिषय- चिंता, दुख आत्म ग्लानि का कारण और निवारण! 


चिंता, दुख आवेग ह्रदय में, आत्म ग्लानि का मारा! 
चिडचिडा़ पन हरदम हमको,देता है अँधियारा!! 

इसी पशोपेश हूँ मैं, दुनिया दिखे खटाला! 
लगता है यह जग झूँठा है, पीलूँ अब हम प्याला!! 

इसका कारण है एक केवल, मन- मेधा कमजोरी! 
इस मन जब दवा मिले तो, मेधा मिले तिजोरी!! 

मै तो कहता हूँ मेरे प्यारे , है तरकीब बहुत सी! 
तन मन सुन्दर स्वच्छ करो तुम कर आराध्य प्रभू की!! 

महाकाव्य, साहित्य रसायन, उपन्यास है मंजन!                  इन सबका चिन्तन तुम करलो, होगें दुख का भंजन!! 

यह अनमोल दिया तन सुन्दर, रब ने तुझे बनाया! 
अच्छा कर्म करो इस जग में, जग हितार्थ को आया!! 

अमरनाथ सोनी "अमर "
9302340662

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511