सौरभ प्रभात

*विज्ञात सवैया*

23 वर्ण 12,11 पर यति के साथ लिखा जाता है
इसमें 4 पंक्ति 8 चरण रहते हैं 
तुकांत सम चरण में मिलाया जाता है 
चारों पंक्ति के तुकांत समान्त रहते हैं।
वाचिक रूप मान्य रहता है।
इसमें गण व्यवस्था और मापनी निम्न प्रकार से रहती है 
रगण तगण तगण मगण, रगण भगण तगण गुरु गुरु
212 221 221 222, 212 211 221 22
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श्वास की है डोर टूटी सदा देखो,
कामना नित्य रचे भाव काले।
कौन पूछे काल नाचे नचाये क्यों,
आस तोड़े हिय के बंद ताले।
भोर की वो चाँदनी मृत्यु के जैसी,
जीभ से छीन रही क्यों निवाले।
कृष्ण आयेंगें जरा देर तो होगी,
साफ होंगें पर सौभाग्य जाले।।

✍🏻©️
सौरभ प्रभात 
मुजफ्फरपुर, बिहार

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