एस के कपूर श्री हंस

।ग़ज़ल।
।काफ़िया।। आल ।
।रदीफ़।। है जिंदगी।।
1
खेलो तो  तब  गुलाल  है   जिंदगी।
बहुत ही यह बेमिसाल है   जिंदगी।।
2
हार जाये जब मन से कोई आदमी।
तो बस फिर इक़ मलाल है जिंदगी।।
3
बस यूँ ही गुजारी तनाव में  गर  तो।
जान लीजिए कि बेहाल है  जिंदगी।।
4
गर ढूंढा न जवाब हर बात का  हमने।
तो मानो सवाल ही सवाल है जिंदगी।।
5
जियो जिंदगी अंदाज़ नज़र अंदाज़ से।
नहीं तो फिर बस   बवाल है   जिंदगी।।
6
गर जी जिंदगी मिलकर   सहयोग  से।
तो जान लो फिर   कमाल है  जिंदगी।।
7
बस लगे रहे हमेशा. अपने मतलब में।
तो बन   जाती    बदहाल  है  जिंदगी।।
8
गर घिर गए हम नफरत के   जाल में।
तो फिर ये   बिगड़ी चाल.  है जिंदगी।।
9
जियो और जीने दो की राह पर चलो।
तो फिर   बनती   जलाल   है जिंदगी।।
10
*हंस* बस हँसकर ही काटो गमों दुःख में।
यकीन मानो रहेगी खुशहाल है जिंदगी।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
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