मधु शंखधर स्वतंत्र

मधु के मधुमय मुक्तक
          योग
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◆ योग व्यक्ति की साधना, संकल्पित शुभ मंत्र।
योग करे सो स्वस्थ हो, शारीरिक यह तंत्र।
सभी करो नित योग को, ईश साधना मान,
योग स्वस्थता का सफल, वैचारिकता तंत्र।।

◆ योगी की जब साधना, ईश्वर का संधान।
सहज रोग सब दूर हो, शंका करे निदान।
सुखद एक अहसास सा, अन्तर्मन का ध्यान।
ईश्वर की आभा मिले, मुखमण्डल पर मान।।

◆ ऋषि पतंजलि ने दिया, योग साधना ज्ञान।
शुद्ध आचरण मन सहज, जीव धरे शुभ ध्यान।
एक कल्पना मन बसा, मिलन करूँ जगदीश,
स्वयं एक हो ध्यान से, प्रभु मानव सम जान।।

◆ मई इक्कीस को सब कहे , योग दिवस है आज।
सफल तभी हो साधना, योग करे नित राज।
 हो आध्यात्मिक ज्ञान भी, साथ एक विश्वास,
प्राप्त सहज प्रभु को करे, योग निहित मधु राज ।।
मधु शंखधर स्वतंत्र
प्रयागराज
03.06.2021

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