एस के कपूर श्री हंस


*।।काफ़िया।।आने।।*
*।।रदीफ़।। नहीं होते।।*
1
उजालों में चराग के   माने  नहीं होते।
डूबे नशे में उनको मयखाने नहीं होते।।
2
जब तक न उतरे कोई  रूह के अंदर।
यूँ ही कोई काम के दीवाने  नहीं होते।।
3
जब बाल न पके हक़ीक़त को देख कर।
यूँ ही सब      जाकर सयाने  नहीं होते।।
4
जब तक चाहते रहो किसी को दिल से।
तब तक लोग चाहत में पुराने नहीं होते।।
5
जो कुछ न कर गुज़रते बढ़कर दो कदम।
सुनाने को उनके  पास  फसाने नहीं होते।।
6
गर दिल के अच्छे   सच्चे  लोग सब होते।
तो दुनिया में फिर इतने दवाखाने नहीं होते।।
7
गर लोग एक दूजे के दिल से   फिक्रमंद होते।
तो फिर आपस में इतने राज़ छुपाने नहीं होते।।
8
गर जर्रे जर्रे में दर्दे एहसास    होता हमनें।
तो हुस्ने सियासत छलकते पैमाने नहीं होते।।
9
*हंस* रखते हुनर लफ़्ज़ से दिल खरीदने का।
यूँ ही   जाकर आपके  जमाने   नहीं होते।।


*।।बस चार दिन का ही पड़ाव*
*है जिन्दगी।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
कभी उतार तो कभी चढ़ाव
है यह जिन्दगी।
कभी प्यार तो कभी    घाव
है यह  जिन्दगी।।
बहुत अनोखा       अनमोल
उपहार   है  यह।
कभी भाव तो कभी  दुर्भाव
है यह  जिन्दगी।।
2
कभी मिलन कभी  टकराव
है यह जिन्दगी।
कभीआत्मीयता का अभाव
है यह जिन्दगी।।
अपने अंतर्मन की  सदा  ही
सुनते        रहो।
नहीं तो अपनों  से  खिंचाव
है यह जिन्दगी।।
3
गर प्यार नहीं  तो बैर   भाव
है  यह  जिन्दगी।
कभी प्रेम कभी    नाराज़गी 
बहाव है जिंदगी।।
गम और खुशी   दोनों     ही
पहलू जिंदगी के।
दोनों तरह का ही हाव  भाव
है यह जिन्दगी।।
4
जान लो कर्म  पथ  की नाव
है यह   जिन्दगी।
बढ़ते रहना ही         स्वभाव
है  यह  जिन्दगी।।
ये दुनिया तेरा घर  नहीं छोड़
कर जायो प्रभाव।
बस चार दिन का  ही  पड़ाव
है  यह   जिन्दगी।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।      9897071046
                    8218685464

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