संजय जैन बीना

*क्या भूला का याद*
विधि: कविता

हम जिन्हें चाहते है वो 
अक्सर हमसे दूर होते है। 
जिंदगी याद करें उन्हें जब
वो हकीकत में करीब होते है।। 

मोहब्बत कितनी रंगीन है 
अपनी आँखो से  देखिये। 
मोहब्बत कितनी संगीन है 
खुद साथ रहकर के देखिये।। 

 है कोई अपना इस जमाने में 
जिसे अपना कह सके हम। 
और दर्द जो छुपा है दिलमें
उसे किसी से व्यां कर सके।।

दिलका दर्द छुपाये नहीं छुपता है
आज नहीं तो ये कल दिखता है।
इसलिए आजकल मोहब्बत का भी
जमाने के बाजार में दाम लगता है।।

अब तक यही करता आ रहा था 
पर अब उन्होंने साथ छोड़ दिया।
चारो तरफ अंधेरा सा छा गया
जहाँ मैं हूँ वहाँ थोड़ा उजाला है।। 

तरस है जब काली घटाये 
चारो ओर छा जाती है। 
तब अंधेरे में अपनी प्यारी
मेहबूबा चाँद सी दिखती है।।

जब तक चाहत थी उन्हें
तब तक दिल जबा था। 
उम्र के डालाव पर आके
वो न जाने क्यों कतराते है।। 

दिल तो जबा रहता नहीं
आँख कान और जुबान।
सब बेवफा हो जाते है 
और एक दूसरे से भागते है।। 

तब वो और उनकी मोहब्बत
हमें एक नई राह दिखती है।
और बीती हुई यादों को 
बहती नदी की राह दिखती है।। 

जब से इश्क का बुखार चढ़ा है। 
तब से किनारे पर जाने का 
बिल्कुल मन नहीं करता है। 
बस प्यार के सागर में डूबे 
रहने का ही दिल करता है।।

न दिल लगता है 
न मन लगता है।  
बस हर दम तू ही 
तू  हमें दिखता है।।

जय जिनें देव 
संजय जैन "बीना" मुंबई
19/06/2021

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...