मधु शंखधर स्वतंत्र

*स्वतंत्र की मधुमय कुण्डलिया*
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*बाधा*

बाधा सारी मिट गई , प्रभु दर्शन के साथ।
अन्तर्मन विश्वास है , शीश धरे प्रभु हाथ।
शीश धरे प्रभु हाथ , साथ है प्रभु की माया।
यही अलौकिक रूप, भक्ति रस साधन भाया।
कह स्वतंत्र यह बात , चित्त मत रखना आधा।
पूर्ण भावना लीन , शक्ति से मिटती बाधा ।।

बाधा कैसी पास हो, धरो अडिग विश्वास।
गीता में कान्हा कहे , कर्म सतत् ही खास।
कर्म सतत् ही खास , श्रेष्ठ यह भाव जगाता।
निष्ठा, साहस, धैर्य, सफल व्यक्तित्व बनाता।
कह स्वतंत्र यह बात, प्रेम की मूरत राधा।
कान्हा कर्म प्रधान, प्रेम हिय काटे बाधा।।

बाधा से डरना नहीं, सद्गुरु देते मंत्र।
ज्ञान मोक्ष का मार्ग है, ध्यान बना शुभ तंत्र।
ज्ञान बना शुभ तंत्र, इसे ही माने ज्ञाता।
सच्चा जीवन मान, श्वास यह रचे विधाता।
कह स्वतंत्र यह बात, लक्ष्य ही अर्जुन साधा।
मिला द्रोण शुभ ज्ञान, मिटाने को हर बाधा।।
*मधु शंखधर 'स्वतंत्र*
*प्रयागराज*✒️
*23.06.2021*

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