सुधीर श्रीवास्तव

हाइकु 
*******
ग्रीष्म ऋतु
*********
तपती धूपच
जान ले लेगी जैसे
दम निकला।
*****
हाय रे गर्मी
चैन न पल भर
दम घुटता।
------
ऐसा लगता
आग बरसे जैसे
जला डालेगी।
*****
बर्दाश्त नहीं
इस बार की गर्मी
भारी पड़ेगी।
*****
सहना होगा
हमेशा तो लगता
अबकी बार।
*****
◆ सुधीर श्रीवास्तव
      गोण्डा, उ.प्र.
   8115285921
© मौलिक, स्वरचित

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511