डॉ. अर्चना दुबे रीत

*कुंडलिया*
*योग*

योगा प्रतिदिन कीजिये, रोगों का हो नाश ।
आसन, योगा, ध्यान से, मन नहि होय उदास ।
मन नहि होय उदास, निरोगी काया पाओ ।
योगा का अभ्यास, बगीचा करने जाओ ।
'रीत' रही समझाय, नहीं कुछ तुमको होगा ।
रहिये सदा निरोग, समय से करना योगा ।।

*डॉ. अर्चना दुबे 'रीत'*✍️
       मुम्बई

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