नूतन लाल साहू

आशा की किरणें

मंजिल मिलें या ना मिलें
मुश्किलें हिलें या ना हिलें
मगर कदम थमें नही
तभी आ सकती है
जीवन में नया सवेरा
दुःख से जीवन बीता फिर भी
शेष रहती है कुछ आशाएं
जीवन की अंतिम घड़ियों में भी
यदि प्रभु श्री राम जी का नाम आ जावे
यही विश्वास मनुष्य को
सफल राही,बना सकता है
सुंदर और असुंदर जग में
उम्मीद छोड़कर किसने जिया है
अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहकर
भूल तुम सुधार लों
एक ना एक दिन
फूलों सा खिलेगा,तेरा संसार
ये तुम मान लो
कौन तुम हो 
ये पहले पहचान लें
आज भी सीमा रहित आकाश
आकर्षण नियंत्रण से भरा है
माया मोह के चक्कर में
किसने भवसागर पार किया है
ईश्वर का अंश हो तुम
ये जान लें
मंजिल मिलें या ना मिलें
मुश्किलें हिलें या ना हिलें
मगर कदम थमें नही
तभी आ सकती है
जीवन में नया सवेरा

नूतन लाल साहू

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