बाल साहित्य
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आओ खाना बनाना सीखें
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हम बच्चे हैं तो क्या हुआ
मन तो लेकिन सच्चा हुआ
मम्मी ने कुछ सिखाया है ,
खाना बनने की दी दुआ ।
मम्मी कहीं भी बाहर हो
आने में उनको देर हो
भूखे तभी तक बैठोगे ,
देर हो या तब सबेर हो ?
खाना बनायेंगे हम जब
मम्मी को मिलेगा सुख तब
कभी भूखे नहीं रहेंगे ,
खाना बना लेंगे जब तब ।
मम्मी करती खूब सेवा
हम भी देंगे उन्हें मेवा
झट सीखें खाना बनाना ,
मदद कर दो तुम हे देवा ।
बचपन रहे ही सुखकारी
खाना हो कल्याणकारी
सीखें हम ये लगन से ,
काम ये मगर नहीं भारी ।
पका लें रोटी ,भात , दाल
कर रसोई की देखभाल
नाश्ता हम करें तैयार ,
चाय बनायें नीर उबाल ।
पधारें अतिथि सेवा करें
काम से हम तो नहीं डरें
बनायें खाना व परोसें ,
हाथ पर हाथ न कभी धरें ।
अच्छे बच्चे सभी बनना
माँ - पिता की सेवा करना
लड़का हो भले हो लड़की ,
अपनी शक्ति पर दम भरना ।
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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
12.6.2021 , 2:42 पीएम पर रचित ।
मुंबई ( महाराष्ट्र ) ।
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