जोकर
जोकर का गम कौन जानता,
औरों को वह अपने ऊपर ही हंसाता।
सदा मुस्कुराना काम है उसका,
मुस्कान के पीछे कितना दर्द यह कोई नहीं पहचानता।
कहना ब़ड़ा सरल है,
तु तो जोकर है बस जोकर ही रह जाएगा।
जोकर बन जाने दर्द उसका
कभी तो पहचानो शक्ल उसका
बेगैरत से जिंदगी होती है ,
खूबसूरत शक्ल पर नकली हंसी होती है
अफसाने किस्से बन के रह जाते हैं,
अपने नाम होते हुए भी जोकर ही कहलाते हैं।
कुमकुम सिंह
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