देवानंद साहा आनंद अमरपुरी

..........तेरी आवाज से दूर.............

पास हैं हम पर , तेरी आवाज़  से दूर।
कभी-कभी कितने,हो जाते मजबूर।।

क़ायल हैं हम कितने,तेरी गायिकी के;
रह नहीं सकते कभी ,हम इससे दूर।।

मौशिकी  तेरी रहे , हमेशा बुलंदी पर;
दुआ किया करेंगे हम,रब से भरपूर।।

मयस्सर हो ज़माने की,सारी खुशियाँ;
हो गायिकी  की दुनियाँ में , मशहूर।।

लग  जाये  तुम्हें , हमारी  उम्र  बांकी;
रखे  ख़ुदा  तुम्हे , क़यामत  से  दूर।।

बचाये  बुरी  नज़रों से , परवरदिगार;
रखे जहाँ की हर,मुश्किलात से दूर।।

न रहे हद कोई,जिंदगी में"आनंद"की;
इल्तज़ा  रहेगी,यही खुदा से भरपूर।।

-----देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...