मधु के मधुमय मुक्तक
संगीत
----------------------------
जीवन भी संगीत सा, बजता मधुर सितार।
कभी तार जब टूटता, सुर छूटे उस पार।
सा रे गा मा पा बना, झंकृत मन अविराम,
सतत कल्पना में उड़े, प्राप्ति ह्रदय व्यवहार।।
प्यार बसा संगीत में, सुर सरिता ही मूल।
प्रकृति सुभग संगीत है, रंग बिरंगे फूल।
ढोल बाँसुरी साथ ही,शहनाई आवाज,
कर्ण सदा अति प्रिय लगे, सुध बुध जाते भूल।।
तार जुड़े जब भावना , निर्मित शुभ संगीत।
सत्य निहित छवि प्रेम की, विस्तृत सच्चा मीत।
गीत छंद साहित्य में, बसा शुभग संसार,
गीतकार की कल्पना, सतत ईश की प्रीत।।
बूँदों में संगीत है , लाती है बरसात।
ध्वनि जो भी होती मधुर, होती है सौगात।
जिस मन बसता है सदा, शुभग सरस संगीत,
मानव मन अति श्रेष्ठ है, मधुमय शोभित बात।।
*मधु शंखधर 'स्वतंत्र'*
*प्रयागराज*✒️
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें