कुमकुम सिंह

खालीपन, एकाकीपन

कुछ खालीपन सा है इन वादियों में 
इन हवाओं में इन फिजाओं में।

 कुछ दम घुटने की अहसास से है इन रवानी में
 दिल के जज्बात उधेर दो।

इन रिश्तो में जैसे कुछ घुटन सी है
 दिल का हर कोने से एक आह निकलती है ।

 पलकों में सारे सपने बंद हो गए 
मानो कुछ खालीपन सी है।

मन की तरंगों में कई नगमे टूट कर रह गए
 अब तो बस दम घुटने सा लगा है ।

रंजिशे निगाहें नींद भी कहीं दूर ,
किसी और के पलकों में समाए हैं ।

शायद इसे ही खालीपन कहते हैं 
हर जगह एक कमी से महसूस होती है ।

दिल की तमन्ना में एक टीस सी उठती है 
क्या ये वही पीर है जिस पीर से पूरी दुनिया ही
 मिलती है।

 हो तुम आसपास लगते हो कुछ खास
 मगर यह तो है बस एक दिल की अहसास।
 बाकी है ।

सब खाली है
 दिल का हर कोना खाली है।

          कुमकुम सिंह

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