मधु शंखधर स्वतंत्र

*मधु के मधुमय मुक्तक*

*रामायण*

रामायण श्री राम की, श्रेष्ठ कथानक रास।
मर्यादा धारण किए , रघुकुलनंदन खास।
भक्ति बसाए हिय सदा, लिखे पूर्ण वृत्तांत,
संत शिरोमणि श्रेष्ठ वो, कहते तुलसीदास ।।

 दशरथ के सुत चार थे, रामायण के पात्र।
सबकी महिमा लिख रहे, कृपा दृष्टि से मात्र।
शस्त्र ज्ञान गुरुकुल मिला, नैतिकता परिवार ।।
राम सभी में ज्येष्ठ थे , गुरु वशिष्ठ के छात्र।।

रामायण में राम की , हनुमत भक्ति साज।
भरत लखन शत्रुघन सहित , करते सब पर नाज।
राम सहज व्यक्तित्व से , नीति बसाए मूल।
पिता वचन पालन किए , त्याग दिए खुद राज ।।

रामायण सा ग्रंथ ही, महाकाव्य के रूप।
राम कथा से प्राप्त हो, सुख अनुभूति अनूप।
राम मनुज में श्रेष्ठतम, विष्णु का अवतार।
अवध राज्य की भूमि पे, एक राम  मधु भूप।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*

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