नूतन लाल साहू

जीवन पथ

कुछ पा करके कुछ खोना
कुछ खोकर के कुछ पाना
उलट पुलट कर आती जाती
चलती फिरती है नई उमंगे
कभी सीधा तो कभी टेढ़ा
हमारा जीवन पथ है
सामान सजाकर यहां वहां
बरसों की करते है चिंता
विरह मिलन का चक्र सतत
कभी भटकना तो कभी मटकना
कभी सीधा तो कभी टेढ़ा
हमारा जीवन पथ है
ऊंचे ऊंचे ख्वाब संजोति
कभी इतराना तो कभी घबराना
कभी हंसाती तो कभी रुलाती
हर दिन बदलती हुई कहानी है
कभी सीधा तो कभी टेढ़ा
हमारा जीवन पथ है
एक नदी सा कल कल करती
गूंज रही है जिसकी धार
कभी कभी पंछी सा उड़कर
मानो नभ को छू रही है
कभी सीधा तो कभी टेढ़ा
हमारा जीवन पथ है
अपने शब्दों के सहारे
नई जान फूंक देती है
आवाज को तलाशती पुकारती
चहुं ओर घूमती है
कभी सीधा तो कभी टेढ़ा
हमारा जीवन पथ है

नूतन लाल साहू

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