मन्शा शुक्ला

परम पावन मंच का सादर नमन


प्रेम नेह जिनके मन माही।
उपजे तह विश्वास सदा ही।।

करो काज धर  मन विश्वासा
पूरण करे प्रभु सब आशा।।

गुरु चरणन सेवहुँ चितलायी।
धर विश्वास  हृदयमें  भाई।

है पुनीत  कर्म  सेवकाई।
अरज  सुनेगें  श्री  रघुराई।।
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मन्शा शुक्ला

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