मधु के मधुमय मुक्तक
विषय - मार्गदर्शन
प्रथम मार्गदर्शन करे , मात पिता गृह धाम।
दूजे शिक्षक से मिले, सतत ज्ञान निष्काम।
सफल साधना से मिले , सामाजिक शुभ ज्ञान,
यही सफलता मंत्र है, प्राप्त करे जग नाम।।
करे मार्गदर्शन वही, होता है गुरुदेव।
धर उदार वह भावना, रहे सुंदर स्वमेव।
लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में जीवन वह सुखधाम।
मिले सुखद नव राह तो, सच्ची होती ठेव।।
साथ मार्गदर्शन मिले, और मिले नित ज्ञान।
विकसित स्वयं समाज में, प्राप्ति सुखद सम्मान।
सदा समर्पित भावना , पहुँचाए शुभ लक्ष्य,
बाधाएँ सब दूर हों , स्वयं साथ भगवान।।
वही मार्गदर्शन करे, जिसके उच्च विचार।
श्रेष्ठ भावना को धरे, सामाजिक आधार।
नहीं लोभ ईर्ष्या बसा, नहीं ह्रदय में रोष ,
सदा समर्पित ही रहे, ह्रदय बसे मधु प्यार।।
मधु शंखधर स्वतंत्र
प्रयागराज
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