अलका जैन

अलका जैन आनंदी

2212  2212  2212  2212  काफिया फासला हौसला
 रदीफ कैसे कहूँ

कहते सदा प्यारी लगे हैं फासला कैसे कहूँ। 
क्या मतलबी दुनिया कहें मैं हौसला कैसे कहूँ।। 

लगता नहीं दिल को कभी की आप ऐसा कर सकें।
मिलकर बनाया था कभी जो घोंसला कैसे कहूँ।। 

पैगाम हमने जो दिया था आपके ही तो लिए ।
आना तुम्हें है जिंदगी में सिलसिला कैसे कहूँ।। 

है आपसे कि प्यार इतना काश शबनम मैं लगू। 
हम तो निभाएँगे सदा अब फैसला कैसे कहूँ।। 

मिलते सनम हम तुम कभी बागों कभी बाजार में।
पकड़े गए बागो खड़े भाई जला कैसे कहूँ।। 

बदला हमें है प्यार ने जो आपने *अलका* दिया।
अब तो चलेगा जन्म भर यह काफिला कैसे कहूँ।। 

अलका जैन @

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