मंच–काव्य रंगोली
विधा– मुक्तक
विषय– योग
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योग सभी के जीवन का अब अंग बने
मानवता का जीवन रक्षक संग बने
पूरी दुनिया पीड़ित है बीमारी से
करो योग फिर नव जीवन में रंग बने
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यदि निरोग रहना है तो फिर योग करो
सबके साथ मिलो बैठो संयोग करो
शाकाहारी बनने का प्रयत्न करो
मांस और मदिरा का कम उपयोग करो
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योग सभी की काया का है शुद्धिकरण
योग कोई न माया है न वशीकरण
जीवन का अध्यात्म और तप योग ही है
योग ही तो निर्धारित करता जन्म मरण
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दुर्गा प्रसाद नाग
ग्राम, पोस्ट व ब्लॉक–नकहा
जिला–लखीमपुर खीरी
(उत्तर प्रदेश)262728
मोo- 9839967711
E mail– durganaag200892@gmail.com
(रचना– मौलिक व अप्रकाशित है)
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