एस के कपूर श्री हंस

*शिष्टता हो जीवन में।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
अहम समाप्त  तो     अहमियत
बढ़         जाती      है।
सरलता विवेक तो   इंसानियत
गढ़      जाती         है।।
संपत्ति तभी सार्थक  जीवन  में
जब हो स्वास्थ्य अच्छा।
शिष्टता कर्म लुप्त तो हैवानियत
चढ़        जाती     है।।
2
आदमी तो   आदमियत    से ही
आदमी    बनता   है।
मानव तो     मानवता    से    ही
मानव     बनता    है।।
प्रसिद्धि तभी ही    सार्थक  जब
निरअहंकारिता हो।
इंसान तो   इंसानियत   से     ही
इंसान   बनता    है।।
3
कर्म विहीन  सफलता   अन्याय
दूसरों     के     साथ।
अच्छा हो व्यवहार  यही   न्याय
दूसरों     के     साथ।।
अच्छा होना महत्वपूर्ण  होने  से
ज्यादा    अच्छा    है।
ज्ञान बाद ही   अच्छा  स्वाध्याय
दूसरों    के       साथ।।
4
विशिष्टता   तभी   सार्थक   जब
शिष्टता हो जीवन में।
प्रयास  तभी  सार्थक जब लक्ष्य
अभिष्टा हो जीवन में।।
बिन पुरुषार्थ    कामयाबी    का
कोई मोल नहीं होता।
आत्मविश्वास तभी सार्थक  जब
निष्ठा  हो जीवन में।।
5
बुद्धिमत्ता के साथ विवेकशीलता
जरूरी है जीवन   में।
सुंदरता के साथ  ही    शालीनता
जरूरी है जीवन   में।।
सीरत के बिना सूरत कोई मायने
नहीं     रखती      है।
अनुशासन  साथ संवेदनशीलता
जरूरी  है  जीवन में।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*

*कॅरोना संकट।।लौट कर फिर वही दिन आयेंगे।।*
*।।विधा।। मुक्तक।।*
1
बचो और बचाओ   यही   आज 
वक़्त की  जरूरत है।
बच्चे बड़े घर पर ही   रहें सुरक्षा
की    एक   सूरत  है।।
कभी दिखें    लक्षण  कॅरोना  के
तुरंत     करवायें  टेस्ट।
यह महा दैत्य.   कॅरोना   यमराज
ही की   एक   मूरत  है।।
2
दूर जरूर रहें पर संवेदनाये कभी
हमारी    शून्य     न   हों।
जरूर है संकट पर दिल  से  दिल
में भावनायें  शून्य न हों।।
वैक्सीन लें आप अति शीघ्र  और
आंतरिक शक्ति को बढ़ायें।
दिमाग में हमारे  यह   संभावनाएँ
कभी यूँ ही   शून्य न हों।।
3
न हों खुद शिकार  कॅरोना के  और
न ही    बांटें   आप  कॅरोना।
स्वयं भी पड़ेंगे  बीमार   और    घर
परिवार को भी पड़ेगा रोना।।
स्वास्थ्य ही धन दौलत चांदी   सोना
है    आज     के   जमाने में।
इस क्रूर कॅरोना काल में  लापरवाही
मतलब जान से हाथ धोना।।
4
फिर वही उजाला होगा बादल अंधेरे
के    छट       से    जायेंगें।
वही खिलखिलाते फूल   होंगें   और
चमन  फिर    मुस्करायेंगे।।
फिर वही महफ़िलों की रौनकें  और
होंगें त्योहारों के उल्लाहस।
बन विश्व गुरु भारत   दुनिया भर  में
परचम    अपना लहरायेंगे।।
*रचयिता।एस के कपूर "श्री हंस*"
*बरेली।*
मोब।।           9897071046
                    8218685464

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