निशा अतुल्य

दोहे
कंगन,काजल,गजरा,बिंदी 
19.6.2021

हाथों में कंगन सजा,चली रूपसी नार 
नैनो में है मस्तियाँ,यौवन का है भार।

काजल रूप सजा लिया,तीखे नैन कटार 
काला तिल मुख पर सजा,संग रहे भरतार ।

महका गजरा मोगरा,साथ पिया का प्यार
सधवा वो ही नार है,सजे रूप शृंगार ।

बिंदी चमके चाँद सी,नैनन पी का प्यार
सजधज कर गोरी चली,हुई सुहागन नार।

स्वरचित
निशा"अतुल्य"

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