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*दो जून की रोटी*
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संस्कृतियों की आन-बान-शान,
अपनापन सा सिखलाती है।
यह *दो जून की रोटी* सब्जी,
हम सबकी भूख मिटाती है।।
ऋषि मुनियों का देश हमारा,
मानवता की पहरेदारी।
यह *दो जून की रोटी* सब्जी,
एक दूसरे की जिम्मेदारी।।
जन्म-मरण तक का पावन बंधन,
जैवविविधता का रखवाला।
यह *दो जून की सब्जी* रोटी,
मन से खाये,जो मतवाला।।
रिश्तेदार, दोस्त,परिवार जन,
मनभावन से तीज त्योहार।
यह *दो जून की रोटी* सब्जी,
समय पर गाती मंगलाचार।।
परमेश्वर से यही कामना
हाथ जोड़ हमारी प्रार्थना।
यह *दो जून की रोटी* सब्जी,
जन जन को *बराबर* बाँटना।।
©®
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)
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