एस के कपूर श्री हंस

। पिता का हाथ,अंधकार*
*में उजाले   का    साथ है।।*
1
माँ स्नेह का    स्पर्श     तो
पिता धूप में      छाया  है।
माँ घर करती    देखभाल
तो पिता  लाता माया   है।।
माँ बाप  के      आजीवन
ऋणी हैं    हम  सब     ही।
इनसे ही   प्राप्त   हुई  हम
सब को           काया    है।।
2
माँ ममता    की मूरत    तो
जैसे पिता        साया    है।
माँ से सबने     ही    बहुत
प्यार दुलार        पाया  है।।
जीवन में      आती      है
जब   भी          कठिनाई।
पिता ने   साथी बन   कर
हाथ     बढ़ाया            है।।
3
माँ बाप    ऊँगली  पकड़
चलना        सिखाया   है।
बड़ा कर के       लिखना
पढ़ना         बताया    है।।
पिता से ही     जाना   है
कैसे   बनना     मजबूत।
बाजार से खिलौने    तो
पिता     ही  लाया     है।।
4
माँ खुला   अहाता     तो
पिता     जैसे    छत    है।
जमाने से     बचने    की
हर सीख    का खत   है।।
हम हैं संसार में      बस
माँ बाप की      बदौलत।
माता पिता से    मिलती
संस्कारों की    लत     है।।
5
माता पिता ही   समझाते
अपने पराये का     अंतर।
हमें बड़ा करने को करते
वह दोनों ही     हर जंतर।।
पिता का हाथ लगता  यूँ
जैसे अंधेरे   में   उजाला।
माता पिता की  सेवा  ही
जैसे   हर पूजन मंतर  है।।
*रचयिता।। एस के  कपूर*
*"श्री हंस"।।*
*।।बरेली।।*
मो ।।     9897071046
             8218685464

*विधा।।।।हाइकु।।*
1
पिता हमारे
संकट में रक्षक
ऐसे सहारे
2
पिताजी सख्त
घर    पालनहार
ऊँचा है  तख्त
3
पिता का साया
ये बाजार  अपना
मिले   ये  छाया
4
पिता    गरम
धूप में   छाँव जैसे
है भी   नरम
5
घर की धुरी
परिवार  मुखिया
हलवा पूरी
6
पिता जी माता
हमारे जन्मदाता
सब हो जाता
7
पिता साहसी
उत्साह का संचार
मिटे उदासी
8
पिता से धन
हो जीवन यापन
ऋणी ये तन
9
पिता कठोर
भीतर से कोमल
न ओर छोर
10
शिक्षा संस्कार
होते जब विमुख
खाते हैं मार
11
पिता का मान
न  करो अनादर
ये चारों धाम


*।।आजकल स्कूल की छुट्टी है।।*

आज   कल स्कूल की     छुट्टी   है।
बाहर जाने से     जैसे     कुट्टी   है।।
घर में ही खेलना कूदना उधम धमाल।
बहुत दिन से पतंग भी नहीं लूटी है।।

*आजकल  स्कूल  की  छुट्टी    है।।*

माँ कहती बार  बार   हाथ  धोने   को।
अब मना नहीं करती ज्यादा सोने को।।
दादा दादी नाना नानी साथ खेलता हूँ।
अब कोई झगड़ाओ समय नहीं रोने को।।

*आजकल  स्कूल   की    छुट्टी   है।।*

स्कूल की  पढ़ाई आनलाइन चल रही है।
गृह कार्य   की बात भी नहीं टल रही है।।
मम्मी पापा के काम में भी हाथ बटाता हूँ।
बाहर नहीं खेलने की  बात  खल रही है।।

*आजकल     स्कूल    की  छुट्टी है।।*

घर में रह कर खूब ड्राइंग पोस्टर बनायें हैं।
कैसे बचें कॅरोना से ये तरीके दिखायें हैं।।
परिणाम  भी आया और पास भी हो गये।
कॉमिक,कहानी,टीवी में सारेदिन बितायें हैं।।

*आजकल   स्कूल की  छुट्टी   है।।*

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"
*बरेली।।*
मो।।             9897071046
                    8218685464

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...